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    Bhanu Saptami 2025: भानु सप्तमी व्रत से सभी कामों में मिलती है सफलता, अभी नोट करें शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2025) का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब पहली पर सूर्य देव का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ा तो उस दिन सप्तमी तिथि थी। इसलिए हर महीने की सप्तमी तिथि पर भानु सप्तमी मनाई जाती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 29 Apr 2025 04:39 PM (IST)
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    Bhanu Saptami 2025: भानु सप्तमी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रोजाना सूर्य देव को अर्घ्य और पूजा-अर्चना करने से कारोबार में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में आ रहे संकटों से छुटकारा मिलता है। वहीं, भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2025) के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से साधक को सभी कामों में सफलता मिलती है। इस दिन अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि मई में कब है भानु सप्तमी?

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    भानु सप्तमी 2025 डेट और शुभ (Bhanu Saptami 2025 Date and Time)

    पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 03 मई को को सुबह में 07 बजकर 52 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 04 मई को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में भानु सप्तमी 04 मई को मनाई जाएगी।

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    सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 38 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट पर

    चंद्रोदय - सुबह 11 बजकर 37 मिनट पर

    चन्द्रास्त - देर रात 01 बजकर 36 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 12 मिनट से 04 बजकर 55 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 57 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक

    अमृत काल - सुबह 06 बजकर 24 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक

    सूर्य मंत्र

    1. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    2. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    3. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    4. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

    5. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

    सूर्याष्टकम

    आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

    दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते

    सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

    श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

    प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

    एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।